अल्मोड़ा-नगर जाखनदेवी क्षेत्र में सीवर लाइन का कार्य जनवरी माह में शुरू हुआ और यह कार्य करीब दो माह चला उसके बाद सड़क सुधारीकरण की बात आई तो गेंद कभी लोक निर्माण विभाग के पाले में गई तो कभी सीवर लाइन कार्य की कार्यदाई संस्था जल निगम के पाले में। जल निगम के अनुसार यह कार्य जनवरी माह के साथ ही समाप्त हो जाना चाहिए था लेकिन करीब दो माह तक यह कार्य चला। कार्य शुरू होने के साथ ही जनता की दिक्कतें भी शुरु हुई। सीवर लाइन बनने से सड़क पर गड्ढे पड़ गए और मिट्टी भी फैल गई जो वाहन चालकों से लेकर राहगीरों के लिए जी का जंजाल बन गई। लोग धूल खाने पर मजबूर हो गए। लोगों की दिक्कतें तो खत्म नहीं हुई लेकिन इस सड़क ने राजनीति चमकाने के लिए नेताओं को मुद्दा दे दिया। कभी किसी नेता तो कभी किसी नेता ने सड़क को मुद्दा बनाया और किसी ने अधिकारियों को ज्ञापन दिए। जिसके एवज में सिर्फ आश्वासन ही मिले, निष्कर्ष कुछ नहीं निकला। सड़क में डामरीकरण को लोक निर्माण विभाग और जल निगम एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोपते रहे। आख़िरकार निष्कर्ष निकला कि आचार संहिता को देखते हुए सीवर लाइन की कार्यदाई संस्था जल निगम ही सड़क को दुरुस्त करवाएगा। विभाग का कहना था कि 26 अप्रैल से डामरीकरण का कार्य शुरू हो जाएगा। जिसके बाद कुछ दिन दिखाने को सड़क पर कंकड़ डालकर सोइलिंग का कार्य दिखाया गया और उसके बाद से काम का अता पता कुछ नहीं। जहाँ सड़क निर्माण कार्य शुरू होने की सुगबुगाहट हुई वहीं नेताओं ने श्रेय लेना शुरू कर दिया। लेकिन मई माह का एक पखवाड़ा बीत जाने के बाद भी सड़क की हालत ज्यों की त्यों है। व्यापारी, स्थानीय लोग, राहगीर सब परेशान हैं लेकिन जल निगम के अधिकारियों को जनता की दिक्कतों से कोई लेना देना नहीं है। अभी फ़िलहाल मामले पर नेताओं की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है शायद किसी मौके के इंतजार में हैं कि कब सड़क पर डामरीकरण हो और वे श्रेय लेते हुए फोटो खिंचाने पहुंचें।

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