अल्मोड़ा-युवा छात्र नेता गोपाल भट्ट ने सेल्फ फाइनेंस को बंद किए जाने के सम्बंध में अपनी मांग उठाई और कहा कि सेल्फ फाइनेन्स विश्वविद्यालय में सिर्फ और सिर्फ विद्यार्थियों से पैसा लूटने का माध्यम है।इस कारण से पिछले वर्ष बीएससी में सेल्फ फाइनेन्स को ख़त्म कर दिया गया था, परतु इस वर्ष एक बार पुनः बीएससी में सेल्फ फाइनेंस को लागू करके प्रशासन द्वारा शिक्षा का व्यवसायीकरण करने का काम किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि सेल्फ फाइनेन्स को बंद कराये जाने के सम्बन्ध में हम सभी छात्रों की तरफ से विश्वविद्यालय प्रशासन व उत्तराखंड सरकार का ध्यान कुछ बिंदुओं पर केंद्रित कराना चाहते हैं।उन्होंने कहा कि बी०एससी० सेल्फ फाइनेंस को गत वर्ष कुमाऊँ विश्वविद्यालय की विद्या परिषद एवं कार्य परिषद के निर्माण के आधार पर कुलपति कुमाऊँ विश्वविद्यालय के आदेशों के पश्चात् बन्द किया गया था।जो पाठ्यक्रम नियमित मोड में परिसर में पूर्व से संचालित हो रहे हैं,उन्ही पाठ्यक्रमों को साथ-साथ स्ववित्त पोषित मोड में चलाया जाना उत्तराखंड शासन के शासनादेशों के भी अनुरूप नहीं है।पर्वतीय क्षेत्रों के गरीब विद्यार्थियों को सस्ती एवं अच्छी शिक्षा प्रदान कराने के उद्देश्य से बने विश्वविद्यालय में सेल्फ़ फाइनेंस के नाम पर विद्यार्थियों को लूटने के बजाय सरकार से अधिक संसाधनों की मांग कर नियमित पाठ्यक्रम में सीटें बढ़ाई जानी चाहिए। गोपाल भट्ट ने कहा कि 2020 में नियमित पाठ्यक्रम में बी०एससी० PCM में 156 एवं ZBC में 237 प्रवेश किये गये थे।जबकि इस वर्ष PCM में कुल 100 एवं ZBC में 132 छात्रों को ही नियमित पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया गया है जो कि परिसर प्रशासन का सेल्फ़ फाइनेंस खोलने हेतु एक षड्यंत्र प्रतीत होता है।वर्ष 2019 एवं उससे पूर्व के वर्षों में भी PCM में 120 से अधिक विद्यार्थियों को एवं ZBC में 160 से अधिक विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाता रहा है किन्तु इस वर्ष एक सोची समझी रणनीति के तहत सीटें न्यूनतम रखी गई हैं ताकि प्रवेश न मिलने से परेशान छात्रों को सेल्फ़ फाइनेंस में प्रवेश लेने हेतु मजबूर होना पड़े।गत वर्षों मे परिसर में संचालित बी०एससी० सेल्फ फाइनेंस पाठ्यक्रम के संचालन में छात्रों द्वारा अनेक धांधलियों की शिकायतें की गयीं थी और उसकी जांच के आदेश भी हुए थे किन्तु आज तक जांच का कोई परिणाम सामने नहीं आया।परिसर में बी०एससी० सेल्फ फाइनेंस की पूर्व की लगभग 60 लाख रूपये की धनराशि परिसर के पास बची हुई है जिसे आवश्यकतानुसार छात्र हित में लगा कर नियमित पाठ्यक्रम में सीटें बढ़ाई जानी चाहिए एवं उच्च शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक लगानी चाहिए।उन्होंने कहा कि इन बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए अगर 30 प्रतिशत सीट बढ़ाने का निर्णय बागेश्वर व पिथौरागढ़ परिसर में किया गया है तो कुलपति द्वारा क्यों ना सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा में 30% सीटें बढ़ाई जाए तथा जिन छात्रों को सेल्फ फाइनेंस के माध्यम से प्रवेश दे दिया गया है उनकी फीस वापस की जाए उन्हें नियमित मोड में प्रवेश दिया जाए।उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन व राज्य सरकार से अपील की है कि सेल्फ फाइनैंस को शीघ्र बन्द किया जाए और सामान्य सीटों को बढ़ाकर प्रवेश शुरू किए जायें।उन्होंने कहा कि अगर यही सिस्टम चलता रहा तो तमाम युवा छात्र नेता इसका पुरजोर विरोध करेंगे।