अल्मोड़ा-एजुकेशनल मिनिस्ट्रीयल आफीसर्स एसोसिएशन कुमाऊं मण्डल नैनीताल के पूर्व मंडलीय सचिव व पूर्व मंडलीय अध्यक्ष उत्तरांचल फैडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन कुमाऊं मण्डल नैनीताल ने कहा कि शिक्षा विभाग में मुख्य प्रशासनिक अधिकारियों के अधिकार में कटौती किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं की जायेगी।इस पद को शासन द्वारा राजपत्रित अधिकारी घोषित किया गया है लेकिन राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड अनावश्यक रूप से इस पद विहित अधिकारों का विरोध कर रहा है।मिनिस्ट्रीयल संवर्ग को एल टी अध्यापक,प्रवक्ता का प्रधानाध्यापक व प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति स्वीकार है और उनका आहरण वितरण अधिकारी होना भी स्वीकार है लेकिन शिक्षक संगठन को कनिष्ठ सहायक से विभिन्न पदों पर होते हुए मुख्य प्रशासनिक अधिकारी बनना और पांच वर्ष की राजपत्रित सेवा उपरांत आहरण वितरण अधिकारी बनना स्वीकार नहीं है।यह संकीर्ण विचारधारा अब किसी भी दशा में बर्दाश्त नहीं की जायेगी। उत्तराखंड शासन द्वारा शासनादेश जारी कर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी व मुख्य प्रशासनिक अधिकारी को राजपत्रित अधिकारी घोषित किया है। सभी विभागों को स्वीकार है लेकिन शिक्षा विभाग में संवर्ग विशेष को यह स्वीकार नहीं है वे चाहते हैं कि यह संवर्ग बंधुआ मजदूर की तरह कार्य करते रहे और इनकी पदोन्नति भी न हो।समाचार पत्र में राजकीय शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों द्वारा मुख्य प्रशासनिक अधिकारी पद को भी समाप्त करने की बात गई है आखिर यह अधिकार इन्हें किसने दिया है। जब शिक्षा विभाग में पांच वर्ष की सेवा करने राजपत्रित अधिकारी की संख्या 200-250 से अधिक है तो फिर उन्हें आहरण वितरण अधिकार देने में किस बात की परेशानी है।परिवीक्षा काल व गैर राजपत्रित शिक्षक को आहरण वितरण का शासनादेश जारी किया गया है यह भी वित्तीय नियमों का उल्लंघन है वित्तीय नियमों में अपवाद स्वरूप नहीं होता है इसके नियम सभी के लिए सार्वजनिक होते हैं।पांच वर्ष की राजपत्रित सेवा करने वाले सभी मुख्य प्रशासनिक अधिकारियों को शासनादेश के अनुसार आहरण वितरण अधिकारी घोषित करना चाहिए।उत्तराखंड सरकार,शासन व शिक्षा विभाग द्वारा मुख्य प्रशासनिक अधिकारियों के अधिकारों में कटौती की गई तो आंदोलन की स्थिति में सम्पूर्ण उत्तरदायित्व विभाग व शासन का होगा।