अल्मोड़ा-एक देश एक चुनाव की भावनाओं को फलीभूत करते हुए एक राज्य एक पंचायत चुनाव उत्तराखंड में लागू किए जाने के संदर्भ में आज पंचायत प्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा और अपनी मांग के समर्थन में धरना दिया।ज्ञापन के माध्यम से कहा गया कि उत्तराखंड में हरिद्वार को छोड़कर शेष 12 जनपदों के त्रिस्तरीय पंचायत का चुनाव 2024-25 में किया जाना प्रस्तावित है।प्रधानमंत्री की पहल के बाद पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने एक देश एक चुनाव पर अपनी सिफारिश भारत सरकार के पास जमा कर दी है।आपकी इस पहल का हम उत्तराखंड के समस्त निर्वाचित त्रिस्तरीय पंचायत के प्रतिनिधि स्वागत करते हैं।उत्तराखंड में एक राज्य एक पंचायत चुनाव के लिए हम लंबे समय से संघर्ष कर रहे है।उत्तराखंड के 12 जनपदों के पंचायत चुनाव हरिद्वार जनपद के साथ इस विजन को पूरा करने के लिए पूरा किया जाना अति महत्वपूर्ण है।इसके लिए आपके आदेश एवं निर्देशों की आवश्यकता उत्तराखंड सरकार को है। आपका उत्तराखंड के साथ अपार स्नेह बना हुआ है।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से विशेष अनुरोध है कि प्रधानमंत्री की पहल को सफल बनाने के लिए उत्तराखंड में एक राज्य एक पंचायत चुनाव के सिंद्धांत को लागू करना आवश्यक प्रतीत हो रहा है।उत्तराखंड में वर्ष 2001 में तत्कालीन राज्य सरकार ने अधिसूचना के माध्यम से एक वर्ष से चार माह का कार्यकाल बढ़ाते हुए निर्वाचित प्रतिनिधियों को ही पंचायतों में कार्य करने का अवसर दिया है।देश के विभिन्न राज्यों में पंचायत का कार्यकाल बढ़ाने के लिए अध्यादेश लाया गया है और निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को कार्य करने का अवसर प्रदान किया गया है।आप भलीभाँति समझते है कि वर्ष 2019 में गठित त्रिस्तरीय पंचायतों के कार्यकाल में कोविड-19 महामारी के कारण दो वर्ष तक विकास कार्य के लिए कोई बजट नहीं आया।पंचायतों की बैठक तक नहीं हो पाई।इस कारण महामारी के इस दो वर्ष के कार्यकाल को पंचायतों के पांच वर्ष के कार्यकाल के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है।महामारी को रोकने के लिए त्रिस्तरीय पंचायतों का अविस्मरणीय योगदान रहा है।आपसे अनुरोध है कि उत्तराखंड के 12 जनपदों के त्रिस्तरीय पंचायतों का चुनाव हरिद्वार जनपद के साथ कराए जाने हेतु राज्य तथा केंद्र सरकार आपस में समन्वय स्थापित करते हुए तत्काल निर्णय लेने का कष्ट करेंगे।आज 1 जुलाई 2024 को प्रस्तावित इस धरना प्रदर्शन के माध्यम से निदेशक पंचायती राज के माध्यम से उत्तराखंड सरकार से निवेदन है कि राज्य सरकार तत्काल एक सूत्रीय मांग के समाधान के लिए संगठन को वार्ता हेतु एक सप्ताह के भीतर तिथि घोषित करते हुए बुलाने का आमंत्रण प्रदान करें।अगर राज्य सरकार के द्वारा एक सप्ताह के भीतर संगठन को वार्ता हेतु आमंत्रण नहीं दिया जाता है तो संगठन राजधानी देहरादून कूच का निर्णय लेते हुए राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर देगा।अभी तक संगठन के द्वारा राज्य सरकार से निवेदन किय गया है।अब निवेदन की सीमा समाप्त हो रही है।अब सरकार के साथ सीधे-सीधे सड़कों पर संग्राम होगा।जिसकी जिम्मेदारी पंचायती राज विभाग तथा उत्तराखंड शासन और उत्तराखंड सरकार की होगी।ज्ञापन की प्रतिलिपि निदेशक पंचायतीराज उत्तराखंड को इस आशय के साथ प्रेषित की गयी है कि वह शासन से पत्राचार करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से एक सप्ताह के भीतर संगठन के प्रतिनिधिमंडल को वार्ता हेतु आमंत्रण देने के लिए बातचीत करते हुए अग्रिम कार्रवाई करने का कष्ट करें।वार्ता के दौरान विभागीय मंत्री,प्रमुख सचिव पंचायतीराज तथा आवश्यकता अनुसार विधि विशेषज्ञ भी उपस्थित रहे यह भी सुनिश्चित किया जाए।धरने और ज्ञापन में एक ग्राम प्रधान संगठन के जिलाध्यक्ष धीरेन्द्र सिंह गैलाकोटी,महेश कुमार, नन्द किशोर आर्य,देव सिंह भोजक,मनोहर सिंह,किशन सिंह बिष्ट,प्रियंका,बहादुर सिंह गैड़ा,बीना देवी,तुलसी देवी,रेनू, हेमन्त कुमार, देवेंद्र सिंह मेहरा,इन्दु राणा,किरन पिलख्वाल,भुवन आर्या, बलवन्त कुमार,हेमा देवी,गुड्डी बिष्ट, राजेन्द्र सिंह नेगी,पूरन सिंह बोरा,बबीता, राजेन्द्र सिंह,जानकी पाण्डे,जगत सिंह,प्रेम सिंह,कैलाश चन्द्र सहित लगभग एक सौ से अधिक प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य आदि उपस्थित रहे।