देहरादून-बागेश्वर की श्रीमती ममता मेहता पत्नी स्वर्गीय जमन सिंह मेहता का चयन तीलू रौतेली पुरस्कार के लिए होने पर क्षेत्रवासियों में हर्ष का माहौल है।आज देहरादून में हुए कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया।विदित हो कि श्रीमती ममता मेहता की शैक्षिक योग्यता एम०ए०,बी०एड० है।श्रीमती मेहता से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि बहुत संघर्ष करने के बाद भी सरकारी विभाग में नौकरी हेतु प्रयासरत रहने पर भी उन्हें सफलता नहीं मिली।उनके पति की 2017 में आकस्मिक मृत्यु हो जाने के बाद एवं अंत्योदय परिवार में आने के कारण उनके पुत्र एवं सास-ससुर की भी जिम्मेदारी स्वयं उनके कंधों पर आ गयी और ऐसी विपरीत परिस्थितियों के कारण उनके परिवार का भरण पोषण करना बहुत मुश्किल हो गया था।उन्हें कहीं से भी कोई सहायता नहीं मिली फिर उन्होंने स्वयं सोचा कि आगे बढ़ना है और कुछ न कुछ करना है।ऐसी सोच के साथ उन्हें एनजीओ के माध्यम से सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करने का मौका मिला।उन्होंने काफी लगन के साथ काम किया तथा समाज में अपनी जगह बनाई।उनके द्वारा गांव-गांव में जाकर असहाय महिलाओं की सहायता की गयी।उन्होंने बताया कि क्योंकि वे स्वयं इस दौर से गुजर चुकी थी तो उनसे लोगों का दर्द नहीं देखा गया।वे समय के साथ-साथ गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी प्रेरित करती रही।उन्होंने यू-ट्यूब के माध्यम से मशरूम उत्पादन का कार्य सीखा तथा धीरे-धीरे कई जगहों पर प्रशिक्षण भी प्राप्त किया।उनका प्रयास सफल रहा।वर्तमान में वे स्वयं ही मशरूम का उत्पादन कार्य कर रही हैं और साथ-साथ महिलाओं तथा पुरुषों को भी प्रशिक्षण देकर कृषि कार्य के साथ-साथ नवीन तकनीकी से कृषि कर आत्मनिर्भर बना रही हैं।उनके द्वारा समय-समय पर गरीब तथा असहाय परिवारों के बच्चे का जन्मदिन भी मनाया जाता है और गांव स्तर पर बच्चों की बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रतियोगिता कर उनको प्रोत्साहन करने के लिए पुरस्कार भी दिया जाता है।इससे सारे बच्चों के मन में खुशी की लहर दौड उठती है।उनका हमेशा प्रयास रहता है कि इन लोगों को छोटी छोटी खुशियां दी जाए।श्रीमती मेहता के द्वारा कोरोना काल में नगर पंचायत तथा गांव में कई किलोमीटर पैदल जाकर कोविड-19 की जानकारी दी गई तथा लगभग 2000 मास्क बांटे गए।नगर पंचायत के सफाई-कर्मचारियों को भी उनके द्वारा राशन दिया गया।कोरोना काल में दुकानों एवं बैंकों के निर्धारित समय में खरीददारी के समय सोशल डिस्टैंन्सिग का पालन कराने के साथ साथ जरूरतमन्दों को मास्क वितरित कर जागरूक किया गया।उनके द्वारा गांव की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने हेतु प्रशिक्षण भी दिया गया।ग्रामीण महिलाओं को बिनाई मशीन से बनाई गई स्वेटर,हाथ की बनी हुई स्वेटर, टोपी आदि सिलाई सिखा कर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में मदद एवं प्रेरित किया गया।उन्होंने बताया कि हमारे प्राकृतिक संसाधन जैसे बांस,रिंगाल से बनाई जाने वाली राखियां,टोकरियां,फ्लावर पॉट,हैंगिंग लाइट,हॉट केस आदि बनाकर भी महिलाओं को आत्मनिर्भरता की ओर बढाने की उनकी कोशिश जारी है।उन्होंने कुछ वर्ष बेरोजगारी की मार भी खाई लेकिन मन में कुछ नया करने की चाह फिर भी थी और परिवारिक जिम्मा भी बढ़ गया था फिर उन्होंने स्वयं मशरूम की खेती करनी शुरू की और उनका पहला ही प्रयास सफल हुआ।तो उन्होंने गरीब महिलाओं तथा बेरोजगारों को भी इससे जोड़ा श।अभी श्रीमती मेहता का स्वयं का मशरूम का कार्य है।अनेक जगह जाकर भी उन्होंने निशुल्क प्रशिक्षण दिया है।अल्मोड़ा जिले के पुलिस कर्मचारियों की महिलाओं को भी उनके द्वारा प्रशिक्षण दिया गया जिससे वह महिलाएं भी आत्मनिर्भर बन पाने हेतु प्रेरित हुई।कोविड-19 के कारण घर लौटे बेरोजगारी प्रवासियों को भी उनके द्वारा मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया।ग्राम पंचायत जिला बागेश्वर से लगभग 40 किलोमीटर दूर गांव है जहां पर गोविंद सिंह को मछली पालन करने हेतु प्रेरित किया गया तथा स्वयं मत्स्य अधिकारी से समन्वय स्थापित किया गया।जिससे प्रवासी गोविंद अब घर पर ही रह कर अच्छी कमाई कर लेते है।इसी प्रकार नामचेटाबगड़ भी जिले से 65 किलोमीटर की दूरी पर है यहां भी मनोज कुमार प्रवासी थे।श्रीमती मेहता के द्वारा इन्हें दुकान खोलने हेतु प्रेरित किया गया अब यह अपने घर पर ही माह में 10000 से 12000 कमा कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं।वे प्राकृतिक फूलों बुरास को संरक्षित कर सभी महिलाओं के साथ मिलकर जूस भी तैयार करने में स्वयं अपनी भागीदारी देकर लोकल फॉर वोकल को बढ़ावा दे कर बुरॉश के जूस को नजदीकी बाजार में बेचकर महिलाओं को आगे बढ़ाने का कार्य कर प्रेरित कर रहीं हैं।उन्होंने बताया कि उनकी प्राथमिकताओं में असहाय महिलाओं को मदद करना,उन्हें आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रेरित करना तथा सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को उनतक पहुंचाकर उन्हें लाभ पहुंचाना है।इन्हीं सब कार्यों को देख कर फरवरी 2021 को जिलाधिकारी द्वारा किसान श्री सम्मान से भी उन्हें पुरस्कृत किया गया।उन्होंने कहा कि माता-पिता के आशीर्वाद/ भाई-बहिन द्वारा लगातार कठिन परिस्थिति में बढ़ाये गये मनोबल एवं प्रेरणा से तथा क्षेत्रवासियों के सहयोग से उन्हें यह सम्मान मिला है।उन्होंने सभी का तहे दिल से आभार व्यक्त किया है।उन्होंने कहा कि आज मिले इस सम्मान से उन्हें और अच्छा करने एवं आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली है।