देहरादून-उत्तराखंडी को ओबीसी घोषित किए जाने,राज्य में सख्त भू कानून लागू किये जाने और राज्य के नागरिकों को उनके जंगलों के हक हकूक दिए जाने की मांग को लेकर उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के तीन शीर्ष नेता जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत,पूर्व मंत्री किशोर उपाध्याय और उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप शामिल हैं।आज अनेक लोगों के साथ राज्य की विधानसभा के सम्मुख पहुंचे और तीन मांगों को लेकर करीब तीन घंटे सत्याग्रह किया।इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने किशोर उपाध्याय द्वारा उठाई जा रही मांग का समर्थन किया।वही धीरेंद्र प्रताप के साथ बड़ी संख्या में राज्य निर्माण आंदोलनकारियों ने भी उत्तराखंड के समग्र विकास के लिए भू कानूनों को बनाया जाना जरूरी बताया।समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ एस एन सचान,कांग्रेस नेत्री शांति रावत,मनीष कुमार,नरेंद्र सोटियाल,संग्राम सिंह गुलफाम, खुशाल सिंह रामगढ़,कांग्रेस प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी,नगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा समेत तमाम नेताओं ने इस मौके पर सत्याग्रह में शिरकत करते हुए राज्य सरकार की इस बात को लेकर आलोचना की कि उसने आज हुए सत्याग्रह के प्रदर्शन को और उसके नेताओं को मिलने से इनकार कर दिया।उन्होंने इसे राज्य में लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया।इस बीच धीरेंद्र प्रताप ने कहा है कि यदि राज्य सरकार ने 1 सितंबर तक भी उत्तराखंड आंदोलनकारियों की 10% क्षेतिज आरक्षण की मांग और समान पेंशन की मांग को नहीं माना तो तमाम राज्य आंदोलनकारकारी 2 सितंबर को राज्य भर में धिक्कार दिवस मनाएंगे और इस सरकार की हर जिले जिले में पुतले जलाकर निंदा की जाएगी।