अल्मोड़ा-उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन उत्तराखंड व अध्यक्ष उत्तरांचल फैडरेशन ऑफ मिनिस्टीरियल सर्विसेज एसोसिएशन के मंडलीय अध्यक्ष धीरेन्द्र कुमार पाठक द्वारा मांग की गई है कि वर्तमान में सभी विभागों में पदोन्नति प्रक्रिया शुरू नहीं होने के कारण मुख्यमंत्री उत्तराखंड द्वारा इसे संज्ञान में लेना चाहिए और 30 जून से पूर्व ही सभी विभागों में पदोन्नति हेतु सख्त निर्देश जारी किए जाने चाहिए।कोरोना काल में विभागीय अधिकारियों द्वारा मनमानी की जा रही है और पदोन्नति की तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है।उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जब सभी कार्यों का निस्तारण किया जा रहा है तो केवल पदोन्नति को बाधित किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।पदोन्नति सेवा का प्रतिफल है उसे बाधित किया जाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में धरना प्रदर्शन कार्यक्रम व आंदोलन से प्रतिबंध हटा देना चाहिए ताकि वास्तविक रूप से अपने अधिकारों के लिए धरातल पर भी संघर्ष किया जा सके।संगठन के पत्रो को भी अधिकारियों द्वारा तरजीह नहीं दी जा रही है जिससे उत्तराखंड के कार्मिकों में शासन व विभाग के प्रति रोष व्याप्त है।उत्तराखंड राज्य आंदोलन से बना हुआ है और किसी भी चीज की प्राप्ति के लिए भी आंदोलन यहां जरूरी हो गया है।उससे पहले अधिकारियों को बात समझ में भी नहीं आ रही है।सरकार को सभी पदोन्नति तय समय पर नहीं होने पर भर्ती वर्ष को 31 जुलाई तक भर्ती वर्ष 20-21 को विस्तारित किया जाना भी समस्या का हल हो सकता है।उन्होंने कहा कि पदोन्नति को किसी भी दशा में बाधित नहीं किया जाना चाहिए। सरकार व शासन को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए।भर्ती वर्ष एक माह आगे खींचने से सभी स्तर की पदोन्नति आसानी से हो सकती है और कोरोनाकाल की स्थिति को देखते हुए शासनादेश जारी किया जा सकता है जो कि लोकतंत्र में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए भी जरूरी है और इससे 2000-3000 के आसपास कार्मिकों को फायदा होगा।उत्तराखंड के कार्मिकों के हितों के दृष्टिगत या तो 30 जून तक सभी पदोन्नति संशोधन व पदोन्नति आदेश जारी करने के लिए सख्त आदेश जारी किए जायें या भर्ती वर्ष को एक माह के लिए विस्तारित कर देना चाहिए।समय पर पदोन्नति नहीं होने से भर्ती वर्ष व वेतन वृद्धि का नुक़सान हो रहा है।कई कार्मिक सेवा निवृत्त हो रहे हैं इन परिस्थितियों को भी गंभीरता से विचार करना चाहिए। भर्ती वर्ष को विस्तारित करना उत्तराखंड के कार्मिकों के हितों के लिए यह ऐतिहासिक कदम होगा जिससे सभी स्तर की पदोन्नति हो सकती है।