बागेश्वर-आज जारी बयान में बागेश्वर के समाजसेवी गंगा सिंह बसेड़ा ने कहा कि कोरोना महामारी ने जिस क्षेत्र को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है वह है शिक्षा का क्षेत्र।क्योंकि प्राथमिक विद्यालय पिछले वर्ष मार्च 2020 से बंद हैं और ऊपरी कक्षाओं के विद्यालय कुछ समय खुले तो सही किंतु पुनः वह बंद हो चुके हैं।जिस कारण से प्राइवेट शिक्षण संस्थान व प्राइवेट शिक्षण संस्थान का कर्मचारी आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है।यदि कोई ट्यूशन या कोचिंग पढ़ाकर गुजारा करता तो उसकी भी अनुमति नहीं है।बहुत सारे विद्यालय संसाधन होने के बावजूद भी अपने कर्मचारियों को वेतन देने में आनाकानी कर रहे हैं,अगर कोई विद्यालय वेतन दे भी रहा है तो वह वेतन का 40% या 50% ही दे रहे हैं जिससे खर्चा चलाना मुश्किल हो रहा है।पहाड़ी क्षेत्रों में खास तौर पर जिन क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या अधिक रहती है वहां ऑनलाइन शिक्षण व फीस जमा करना ना के बराबर हो रहा है जिस कारण से संचालक यह कहकर अपनी जिम्मेदारी से भाग जाते हैं कि जब फीस ही जमा नहीं हुई है तो हम वेतन कहां से दें।उन्होंने कहा कि सरकार ने आरटीई के तहत मिलने वाला पैसा भी दे विद्यालयों को दे दिया है उसके बावजूद भी शिक्षकों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुवा।इस प्रक्रिया में सरकार ने प्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप करके बीच का रास्ता निकालना चाहिए और सभी विद्यालयों के एकाउन्ट की जांच होनी चाहिए। अंतिम महीने में डाली गये वेतन का ब्यौरा मांगना चाहिए जिससे यह स्पष्ट हो कर्मचारी को वेतन कब तक का मिला हुआ है।अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो सारे प्राइवेट शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया जाए जिससे इन शिक्षण संस्थानों के भरोसे काम कर रहे कर्मचारी कुछ अपना अलग क्षेत्र में काम कर सकें और किसी प्राइवेट शिक्षण संस्थान के भरोसे ना रहें।इसमें बीच का रास्ता यह भी निकाला जा सकता है कि जिन विद्यालयों के पास संसाधन उपलब्ध हैं वह तुरंत अपने कर्मचारियों को वेतन प्रदान करें और जिन विद्यालयों के बाद संसाधन उपलब्ध नहीं हैं उनको सरकार आर्थिक मदद देकर संसाधन उपलब्ध कराए और कर्मचारियों के आर्थिक तंगी को दूर करने का प्रयास करें।ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा देने में प्राइवेट विद्यालय का योगदान भी कम नहीं है किंतु प्राइवेट शिक्षकों व सरकारी शिक्षकों में सरासर भेदभाव सरकार के द्वारा ही किया जाता है। क्योंकि प्राइवेट शिक्षक ना किसी अवार्ड या सरकारी पुरस्कार के लिए आवेदन कर सकता है ना ही वह सरकार द्वारा संचालित निजी संस्थान में काम करके अपने अनुभव प्रमाण पत्र का उपयोग सरकारी सेवाओं के लिए कर सकता है इसमें भी संशोधन की आवश्यकता है।इसके साथ ही सरकार ने यह भी मापदंड तय करने चाहिए कि भविष्य में इस प्रकार की समस्या आने पर प्राइवेट शिक्षण संस्थान कैसे इससे निपटेंगे और अपने कर्मचारियों के भविष्य को कैसे सुरक्षित रखेंगे।उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि आज हर गली और नुक्कड़ पर प्राइवेट विद्यालय स्कूल तो गए हैं लेकिन वे किसी भी मानक का पालन नहीं करते हैं।अगर वह मानक का पालन नहीं करते हैं तो सरकार ने किस आधार पर उन को मान्यता प्रदान की है? यदि सरकार ने मान्यता प्रदान की है तो सरकार को चाहिए कि उनको संसाधन उपलब्ध करवाएं और उसमें काम कर रहे कर्मचारियों का भविष्य सुनिश्चित करें।जब खुद शिक्षक का भविष्य ही सुनिश्चित नहीं होगा तो वह बच्चे के भविष्य को कैसे सुरक्षित कर पाएगा।