अल्मोड़ा-आज जारी एक बयान में शिक्षा समन्वय समिति जनपद अल्मोड़ा के सचिव धीरेन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि राज्य सरकार सी जी एच एस को अंगीकृत करती है तो उत्तराखंड के कितने अस्पतालों में यह सुविधा मिल सकेगी।उन अस्पतालों का स्तर सी जी एच एस के अनुरूप है या नहीं या केवल यह सुविधा कुछ ही शहरों में ही निपट जाएगी और आम कर्मचारी फिर ठगा रह जायेगा।इस हिसाब से यह व्यवस्था भी उत्तराखंड में जमीन में उतरने से रही।महंगी दवायें उत्तराखंड के अस्पतालों में उपलब्ध नहीं है उत्तराखंड के प्राइवेट अस्पतालों में से कितने के साथ समझौता हुआ है यह राज्य सरकार स्पष्ट नहीं करती और लगभग 10 महीने से चिकित्सा प्रतिपूर्ति नहीं होने से कार्मिकों में राज्य सरकार के प्रति रोष व्याप्त है।सभी यह पूछ रहे हैं कि बिलों का भुगतान कैसे होगा।सरकार को गंभीरता से विचार करना होगा।सभी पहलुओं पर धरातल स्तर पर काम होना जरूरी है। पर्वतीय जिलों में चिकित्सा सुविधा नाममात्र की है।ऐसे में सीजीएच एस की बात कितनी धरातल पर उतरती है यक्ष प्रश्न है।सरकार को 10 महीने हो गए हैं ज्ञापन देते देते किन्तु 28 की कैबिनेट में सीजीएचएस की बात कही गई है।इसका शासनादेश निकले फिर कोई स्थिति स्पष्ट होती है या फिर उत्तराखंड के कार्मिकों को फिर से चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिए आंदोलन करना होगा।धरातल पर काम नहीं होना और उसके बारे में कार्मिकों को अवगत नहीं कराया जाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।किसी भी शासकीय प्रवक्ता द्वारा अभी तक आधिकारिक तौर पर इस संबंध में जानकारी देने का प्रयास नहीं किया गया है यह कार्मिक हितों के साथ खिलवाड़ है।बिना कार्ड के धनराशि कटौती कर ली गई है और कार्ड से इलाज होना नहीं है।सरकार को इस संबंध में सभी बातों को स्पष्ट करने की आवश्यकता है।आम कर्मचारी के साथ छल व खिलवाड़ किया जाना उचित नहीं है।सरकार की योजना धरातल पर नहीं उतरती है तो इसी मुद्दे पर बड़ा आंदोलन निश्चित रूप से होगा।लगभग दो लाख से अधिक कार्मिकों व पेंशनर्स के साथ चिकित्सा प्रतिपूर्ति के नाम पर खिलवाड़ किया जाना लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है।चिकित्सा राज्य सरकार की वचनबद्धता है वह इससे पलट नहीं सकती।पहले चिकित्सा प्रतिपूर्ति में एक अरब से अधिक धनराशि या वास्तविक धनराशि चिकित्सा प्रतिपूर्ति के नाम पर आवंटित होती थी।उस राशि से भी कार्मिकों को महरूम कर दिया गया और उल्टे 1000/-650/- 450/- 250/- की धनराशि कार्मिकों व पेंशनर्स की कटौती हो रही है।बदले में चिकित्सा प्रतिपूर्ति कैसे होगी यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है।