बागेश्वर-आज जारी एक बयान में बागेश्वर के समाजसेवी गंगा सिंह बसेड़ा ने कहा कि स्कूलों के बंद होने के कारण शिक्षकों की ओर से छोटे बच्चों को ऑनलाइन क्लास में पढ़ाया जा रहा है।ऑनलाइन शिक्षा हालांकि बच्चों के लिए स्कूलों में चलने वाली नियमित कक्षाओं का विकल्प है,परंतु तीन से पांच साल तक के बच्चों के लिए कई-कई घंटों तक मोबाइल के सामने बैठना न सिर्फ मुश्किल है, बल्कि उनके स्वास्थ्य व आंखों के लिए भी नुकसानदायक भी साबित हो रहा है।लॉकडाउन से उत्पन्न हुई विषम परिस्थितियों के चलते सभी विद्यालयों में पढ़ाई का काम-काज ठप पड़ा हुआ है। ऐसे में विद्यालयों ने छात्र-छात्रओं को घरों पर पढ़ाने के लिए ऑनलाइन शिक्षा शुरू की है।जबकि मोबाइल फोन के माध्यम से कराई जा रही, ऑनलाइन शिक्षा कक्षा एक से आगे की पढ़ाई के लिए एक अच्छा विकल्प बन रहा है,लेकिन तीन से पांच या छह साल तक की उम्र के बच्चों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई बेहद मुश्किल व स्वास्थ्य की दृष्टि से नुकसान वाला साबित हो रहा है।कई-कई घंटे तक मासूम बच्चों की चल रही क्लास के दौरान बच्चे टकटकी लगाकर मोबाइल को देख रहे हैं।इसके अतिरिक्त लॉक डाउन लगने के ठीक पहले फरवरी व मार्च के महीने में विद्यालय में प्रवेश लेने वाले छोटे बच्चे पेंसिल पकड़ना, लाइन बनाना व ए, बी, सी, डी लिखना भी मोबाइल से ही सीख रहे हैं। मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग से बच्चों की आंखो पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। मोबाइल, कंप्यूटर व लैपटॉप आदि से निकलने वाली इलैक्ट्रो मैग्नेटिक रेडिएशन आंखों के लिए बेहद खतरनाक होती है। जिससे आंखों में सूखेपन की बीमारी हो जाती है। आंखों में पानी की कमी के कारण नसें भी कमजोर हो जाती हैं जो उनके भविष्य के लिए काफी नुकसान वाली है।बच्चे यहां तक कि खाते सोते समय भी मोबाइल का प्रयोग कर रहे हैं समय रहते इसका प्रयोग कम ना हुआ तो भविष्य में इसके घातक परिणाम आ सकते हैं।उन्होंने कहा कि एक शोध के अनुसार भारत में डिजिटल स्क्रीन टाइम 2019 में 4.9 से 5.5 घंटे था, अप्रैल 2020 में यह बढ़कर 6.9 घंटे हो गया।2 से 5 वर्ष के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम प्रतिदिन केवल एक घंटा निर्धारित होना चाहिए।5 साल से ऊपर के बच्चों के लिए डिजिटल स्क्रीन टाइम का सीमित प्रयोग अभिभावकों के निरीक्षण और मार्गदर्शन के अनुसार होना चाहिए इसमें बच्चों को कम से कम एक घंटा आउटडोर एक्टिविटी तथा खेलकूद में देने के लिए प्रेरित करना चाहिए।मोबाइल के अत्यधिक उपयोग से बच्चों के आंखों में जलन सिर दर्द अनिद्रा याददाश्त में कमी आंखों की रोशनी का कम होने के साथ-साथ अन्य कई बीमारियां होने की संभावना रहती है।