बागेश्वर-बागेश्वर के रिसर्च स्कालर नन्दन सिंह ने प्रैस को जारी बयान में कहा कि जैसा कि हम अभी जानते ही हैं कि कोरोना महामारी एक अंतरराष्ट्रीय महामारी है।इसका प्रभाव हर देश में देखा जा रहा है साथ ही भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। कोरोना के कारण सभी प्रकार के शिक्षण संस्थान बंद करने पड़े हैं तथा कोविड कर्फ्यू को पूरे देश में लागू करना पड़ा।और यह आवश्यक भी था। इसका प्रभाव सभी क्षेत्रों पर पड़ता है साथ ही शिक्षा पर भी पड़ रहा है जिस प्रकार सभी शिक्षण संस्थान बंद हैं तथा सभी प्रकार की जो पढ़ाई लिखाई का कार्य है वह ऑनलाइन टीचिंग लर्निंग के माध्यम से किया जा रहा है।जहां एक ओर हम देख रहे हैं कि ऑनलाइन टीचिंग का अपना फायदा भी है बच्चों को कहीं जाना नहीं पड़ता है पूरी सुरक्षा के साथ घर पर रहकर पढ़ाई कर सकते हैं तो वहीं इसका दूसरा पहलू अगर देखें तो यह एक चुनौती भी है और समस्या भी है क्योंकि ऑनलाइन शिक्षण के नाम पर बच्चों को हम जो इलेक्ट्रॉनिक गेजेट्स का एक सीमा से अधिक इस्तेमाल करने की छूट दे रहे हैं वह कहीं ना कहीं हमारे बच्चों के लिए घातक साबित हो सकता है।उन्होंने कहा कि इस बारे में अंतरराष्ट्रीय संस्था यूनिसेफ ने भी एडवाइजरी जारी की थी कि और उन्होंने बताया था कि छोटे बच्चों को 1 दिन में अधिक से अधिक आधे घंटे तक ही उन्हें अपने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से उनका इस्तेमाल करने की इजाजत देनी चाहिए और वह भी अपने माता-पिता की निगरानी में।हमने देखा भी है और हम समझ सकते हैं कि अगर हम किसी बच्चे को फोन दे देते हैं जिसमें इंटरनेट चलता हो तो वह उस फोन पर घंटों बिता सकते हैं और बहुत चीजें कर सकते हैं जो घातक साबित होती है और जिनकी लत तक लग जाती है,यह हमारे बच्चों के मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए हानिकारक ह।मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो है ही साथ ही आंखों का कमजोर हो जाना,सर दर्द होना और इसके साथ थकावट महसूस होना या चिड़चिड़ाहट होना आदि।हम यह भी जानते हैं कि सरकार के द्वारा तथा साथ ही डब्ल्यूएचओ के द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर छोटे बच्चों को पर ज्यादा प्रभाव छोड़ सकती है इस को मद्देनजर रखते हुए हमें अपने बच्चों की इम्युनिटी पावर को मजबूत करना होगा और वह तभी हो सकता है जब हम उनको अच्छे खान-पान के साथ अच्छी आदतें भी सुधरेंगे और उनको हेल्थी क्रियाकलाप सिखाएंगे,इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स में कम से कम उनका समय बीते यह ध्यान में रखेंगे इससे उनके अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और साथ ही वह स्वस्थ रह सकते हैं।अंत में हम यह कह सकते हैं कि फिलहाल जब तक ऑनलाइन टीचिंग ही एक माध्यम के रूप में हमारे पास उपलब्ध है तो हमें पूरी सावधानी के साथ और बच्चों को अपने समक्ष ही शिक्षण का कार्य करवाना चाहिए और समय का विशेष ध्यान रखते हुए एक सीमित समय के लिए ही उन्हें इन गैजेट्स का इस्तेमाल करने की इजाजत देनी चाहिए।