अल्मोड़ा-जिला पंचायत सदस्य महेश नयाल ने ग्राम कयाला के दो बार से ग्राम प्रधान रहे सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र रौतेला उम्र 52 वर्ष के आकस्मिक निधन और दौलाघट क्षेत्र के खाईकट्टा डांगीखोला निवासी महेंद्र सिंह उम्र 43 वर्ष के गांव के ही जंगल में आग बुझाने में आग की चपेट में आकर आकस्मिक मृत्यु होने पर गहरा शोक जताया है।खाईकट्टा की इस घटना पर समस्त क्षेत्र वासियों में शोक की लहर है,उन्होंने कहा कि दोनों ही बहुत ही सामाजिक एवं मिलनसार स्वभाव के लिए जाने जाते थे और लोगों की मदद करने के लिए हर संभव तैयार रहते थे,महेश नयाल, उनके साथियों व भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनके घर जाकर शोक व्यक्त किया।शोक व्यक्त करने वालो में भारतीय जनता पार्टी के मंडल अध्यक्ष वीरेन्द्र चिलवाल,जिला पंचायत सदस्य पूर्व जिला महामंत्री महेश नयाल, पूर्व मंडल अध्यक्ष देवेंद्र नयाल,जिला पंचायत सदस्य पूर्व मंडल अध्यक्ष वीरेंद्र शाही,मंडल महामंत्री देवेंद्र मेहरा, मंडल उपाध्यक्ष गणेश जलाल, एडवोकेट हरीश चिलवाल रिटायर कैप्टन प्रकाश डांगी, पूर्व पूर्व मंडल अध्यक्ष महेंद्र रावत,रमेश तिवारी पूर्व क्षेत्र पंचायत नरेंद्र सिंह, पूर्व अध्यक्ष सैनिक प्रकोष्ठ गजेंद्र रावत, ग्राम प्रधान गणेश बिष्ट,ग्राम प्रधान जगदीश सिंह,आनंद सिंह,महिपाल सिंह,सहित अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओ एवं जनप्रतिनिधियों ने दोनों परिवारों के घर जाकर अपनी शोक संवेदना व्यक्त की।इधर जिला पंचायत सदस्य महेश नयाल ने कहा कि नरेंद्र रौतेला और महेंद्र सिंह दोनों ही सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे दोनों के ही निधन पर समस्त क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी सामाजिक क्षति हुई है दोनों के परिवारों को 10- 10 लाख की आर्थिक सहायता दी जाय।साथ ही खाईकट्टा निवासी महेंद्र सिंह के आग बुझाने में मृत्यु होने पर कहा कि उनके छोटे-छोटे तीन बालिकाएं हैं परिवार के पास कोई भी रोजगार का साधन नही है।उन्होंने सरकार से अनुरोध किया की उक्त परिवार को उचित मुआवजा के साथ ही महेंद्र सिंह के परिवार से एक सदस्य को वन विभाग में नौकरी दी जाय,जिससे यह गरीब परिवार अपने परिवार का लालन-पालन कर सके।उन्होंने वन विभाग से मांग की है कि पूर्व में आग बुझाने के लिए गांव में फायर वाचर की नियुक्ति की जाती थी वर्तमान में अधिकांश जगह पर फायर वाचर नहीं रखे गए हैं जिस कारण से लगातार आग की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं ,आम जन मानस का जो पूर्व में अपने जंगलों के साथ एक लगाव था आज वो खतम होता जा रहा है, पहले अगर कहीं भी कोई आग लगती है लोग स्वेच्छा से बुझाने जाते थे,आज बहुत कम लोग जाते हैं।क्योंकि कोई भी परिवार जो अपने घर के पास या कहीं पर कोई खतरा बने पेड़ के लिए परमिशन के लिए वन विभाग में जाता है तो महीनो चक्कर लगाने के बाद भी के परमिशन नहीं मिल पाती है, इस कारण लोगों का लगाव कम होने से आज लगातार जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ती जा रही है।उन्होंने वन विभाग से गांवों में फायर वाउचरों की नियुक्ति की जाए और नवयुवक मंगल दल एवं जनप्रतिनिधियों के साथ जन जागरूकता अभियान चलाया जाए,लोगों को आग बुझाने के लिए मोटिवेट किया जाए जिससे लगातार बढ़ रही आग की घटनाओं को रोका जा सके।

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