अल्मोड़ा-सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे ने प्रैस को जारी एक बयान में कहा कि अल्मोड़े का मेडिकल कालेज एक सफेद हाथी बन कर रह गया है। यह मेडिकल कालेज तो बन गया पर सुविधाओं के अभाव में छात्र व रोगियों को भी बुनियदी जरूरतों के लिये तरसने को बाध्य होना पड़ा रहा है।सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे ने कहा कि जनपद के किसी भी जिला स्तरीय चिकित्सालय को तो छोड़िये,जिले के सबसे बड़े मेड़िकल कालेज मे भी ईको जांच,एम.आर. आई. मशीन व ब्लड बैक नही है।मरीजों को ब्लड लेने के लिये जिला चिकित्सालय पर निर्भर रहना पड़ता है।कोविड काल में शुरू किए गए ऑक्सीजन प्लांट का लाभ भी आम जन मानस को नही मिल रहा है। सरकार ने ऑक्सीजन प्लांट तो लगा दिया पर एक और उपकरण बूस्टर नही लगा है,जिसके द्वारा सिलिंडरों को रिफिल किया जाता है।यदि ये उपकरण लग जाता तो लोगो को हल्द्वानी के चक्कर नही काटने पड़ते। उन्होंने कहा कि इस विषय पर पिछले दिनों जिलाधिकारी से भी उन्होंने बात की थी और लिखित रूप में प्रार्थना पत्र भी दिया था।जिलाधिकारी की ओर से बताया गया था कि बूस्टर लगाने की कार्यवाही जल्दी ही होगी।पर अभी तक कुछ भी नही हुआ।इसलिए जनता की समस्या को देखते हुए उनके द्वारा एक जन शिकायत मुख्यमंत्री के कार्यालय में भी डाली गई है।उन्होंने कहा कि जल्दी ही वे इस पर एक जनजागरूकता अभियान भी चलाएंगे।एक तरफ सरकार विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्तियां कर रही है। किन्तु संसाधनों व उपकरणों के अभाव में उनकी प्रतिभायें भी कुन्द हो रही हैं। एक तरफ जहाँ कॉलेज प्रशासन के पास जरूरी मशीनों के लिए बजट नही है वही दूसरी तरफ फर्नीचर व गैर जरूरी चीजों पर पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है।मेडिकल कॉलेज शुरू होने के बाद लोगो को उम्मीदें थी कि अब उन्हें इलाज के लिए बाहर नही जाना पड़ेगा पर स्थिति इसके बिल्कुल उलट है।आज ये केवल रेफर सेंटर बन कर रह गया है।संस्थान में बहुत अनुभवी डॉक्टर है जो कि आवश्यक उपकरणों के अभाव में अपनी सेवाओं का लाभ स्थानीय जनता को नही दे पा रहे हैं।अत: सरकार जिन विभागों में उपकरण है वहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की भर्ती तथा जहां चिकित्सक है वहां उपकरणों की व्यवस्था करें।सरकार को मेडिकल कॉलेज शुरू करने से पहले बुनियादी सुविधाओं को जुटाना चाहिए।साथ ही मेडिकल काउंसिल को भी मान्यता देने से पहले सभी पहलुओं की जांच करनी चाहिए जिससे कि छात्र,छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो तथा वह एक योग्य डॉक्टर बन कर अपने देश की सेवा कर सके।