अल्मोड़ा-भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला मंत्री व जिला सहकारी बैंक के डायरेक्टर विनीत बिष्ट ने प्रेस को जारी एक बयान में नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का आभार जताया व कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटबंदी को काले धन में प्रहार के रूप में देखा गया तथा इससे देश को नकली नोटों के कारोबार से भी मुक्ति मिलने की ओर पहला कदम बताया।सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में 500 और 1000 के नोटों को तत्काल प्रभाव से बंद करने को सही ठहराया और कहा कि इसमें पूर्ण प्रक्रियाएं अपनाई गई थी जो 1946 और 1978 में भी अपनाई गई थी।उन्होंने कहा कि नोट बंदी को लेकर कांग्रेस और विपक्षी दलों द्वारा भ्रामक प्रचार किया गया था जिससे कई लोगों को नुकसान उठाना पड़ा।लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले को सही साबित कर दिया और पुनः एक बार सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर मोहर लगाई है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश हित में कोई भी फैसला लेने से नहीं चूकते और इस कारण ही पूरा देश नरेंद्र मोदी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रहा है।नोट बंदी को लेकर विपक्ष द्वारा भ्रामक प्रचार प्रसार किए जाने पर आज विपक्ष के नेताओं को माफी मांगनी चाहिए और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए।विनीत बिष्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार के 2016 में 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को बरकरार रखा है।सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं को खारिज करते हुए ये फैसला सुनाया।जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने 4:1 के बहुमत से नोटबंदी के पक्ष में फैसला सुनाया।बेंच ने कहा कि आर्थिक फैसलों को बदला नहीं जा सकता।सुप्रीम कोर्ट ने 4:1 के बहुमत से केंद्र सरकार के 2016 में नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया। कोर्ट ने माना कि केंद्र की 8 नवंबर, 2016 की अधिसूचना वैध है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच सलाह-मशविरा हुआ था।सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि नोटबंदी का फैसला लेते समय अपनाई गई प्रक्रिया में कोई कमी नहीं थी।इसलिए उस अधिसूचना को रद्द करने ने की कोई जरूरत नहीं है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र सरकार को संविधान और आरबीआई एक्ट ने अधिकार दिए हैं उसका इस्तेमाल करने से कोई रोक नहीं कर सकता। अब तक दो बार नोटबंदी यानी विमुद्रीकरण के इस अधिकार का इस्तेमाल अब तक हुआ है।ये तीसरा मौका था।रिजर्व बैंक अकेले विमुद्रीकरण का फैसला नहीं कर सकता।इसलिए नोटबंदी जायज थी और देश हित में थी।इसलिए इसे गलत नहीं ठहराया जा सकता और नोटबंदी के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए।

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